क्या केजरीवाल की दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग उचित है?
क्या केजरीवाल की दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग उचित है?
जहाँ तक दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग का सवाल है, केजरीवाल और बैजल जैसे अयोग्य लोगों के रहते इस विषय पर बात करना भी पाप है । यह बात तो तभी हो सकती है जब दिल्ली में कोई योग्य प्रशासक हो – जिसकी सम्भावना बिल्कुल भी नहीं।
By Rakesh Raman
यदि दिल्ली का मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल अपने साथी अन्ना हज़ारे को धोखा दे कर राजनीति में ना होता तो वह अवश्य ही किसी घटिया नाटक कम्पनी में कलाकार होता।
पिछले करीब तीन साल में दिल्ली की बर्बादी करने के बाद अब केजरीवाल और उसके साथी अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए नाटक पर नाटक कर लोगों को मुर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं।दिल्ली के लोगों के लिए काम करने की बजाए, केजरीवाल बार बार अपने अयोग्य साथियों के साथ अल. जी. अनिल बैजल के दफ्तर पर धरना लगा देता है। लेकिन शिक्षित लोग जानते हैं कि ऐसे धरने केजरीवाल के फ़रेब का हिस्सा हैं।
अब केजरीवाल और उसके झूठे साथियों ने मिल कर दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग को लेकर एक और नाटक शुरू किया है जो उनके अनुसार 3 जुलाई से 25 जुलाई तक चलेगा।भगवान ही बचाए ऐसे नौटंकी वालों से।
केजरीवाल के पास एक भी ऐसा कारण नहीं है जिससे वह पूर्ण राज्य की मांग कर सके। केजरीवाल का कहना है कि जब दिल्ली में उसकी सरकार बनी तो उसने बिजली के दाम आधे कर दिए और पानी मुफ्त कर दिया।लेकिन सच यह है कि ना तो पानी घर में आता और ना ही बिजली।
और अगर पानी, बिजली के पैसे कम हो भी गए तो उसमें केजरीवाल का क्या योगदान है? यह तो जनता का पैसा है जिसे केजरीवाल लुटा रहा है।यह काम तो एक शरारती बंदर भी कर सकता है यदि वह इधर उधर करके मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठ जाए। कृपया इस बंदर वाली बात का कोई गलत मतलब ना निकालिएगा, यह तो सिर्फ एक उदाहरण है।
लोगों को अच्छी शिक्षा से सशक्त करने की बजाए, देश के दूसरे नेताओं के तरह केजरीवाल बेचारे लोगों को सरकारी धन से मुफ्त का सामान बाँट कर ग़ुलाम बना कर रखना चाहता है ताकि वे अशिक्षित और कमज़ोर रह कर उस पर निर्भर रहें और उसकी पार्टी को वोट डालते रहें।
आज के आधुनिक युग में एक छोटी सी नौकरी के लिए भी उस नौकरी से जुड़ी योग्यता और डोमेन विशेषज्ञता (domain expertise) चाहिए।लेकिन केजरीवाल या उसके किसी भी साथी के पास ऐसी योग्यता नहीं है। तो वे पूरी सरकार कैसे चला सकते हैं?
यदि वे योग्य होते तो आज दिल्ली नर्क ना बना होता।काम करके दिखाने के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं बल्कि योग्यता और उचित शिक्षा चाहिए जो केजरीवाल और उसके साथियों के पास नहीं है। इनमे से अधिकतर तो ठीक तरह से बोल या लिख भी नहीं पाते।क्या चलाएँगे ये सरकार?
केजरीवाल और उसके साथियों ने वोट लेने के लिए हर तरह का झूठ बोला और लोगों पर झूठे आरोप लगाए।जब मामले कोर्ट में गए तो सब से केजरीवाल और उसके झूठे साथी माफ़ी माँग रहे हैं।लेकिन वोटें तो झूठ बोल कर ली हैं।यदि आप झूठ बोल कर और झूठे वादे करके अनपढ़ लोगों के वोट ले सकते हो तो इसका यह मतलब नहीं कि आप सरकार भी चला सकते हो।
और यह तो केजरीवाल को वोट मांगने से पहले पता था कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। तो तब इसने लोगों को क्यों नहीं बताया कि वह चुनाव जीतने के बाद भी सरकार नहीं चला पाएगा? अब सरकार चलानी नहीं आ रही तो इधर उधर के बहाने लगा रहा है।नाच न आवे आँगन टेढ़ा।
केजरीवाल की पूरी पार्टी झूठ, फ़रेब, और भ्रष्टाचार पर टिकी हुई है।
भ्रष्टाचार का बोल-बाला
अब भ्रष्टाचार की बात करते हैं।आज यह सवाल देश के बच्चे-बच्चे की जुबां पर है कि क्या दिल्ली का मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल भारत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी नेता है। हो भी सकता है।वैसे तो दिल्ली दुनिया का सबसे अधिक प्रदूषित नगर माना जाता है, लेकिन आज यह जानना मुश्किल हो गया है कि दिल्ली में प्रदूषण ज्यादा है या भ्रष्टाचार।
हालाँकि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) का नारा है – “भ्रष्टाचार मुक्त भारत हमारी मांग नहीं हमारी जिद्द है।” लेकिन यदि पिछले तीन साल के रिकॉर्ड को देखें तो केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं।अब भ्रष्टाचार मुक्त भारत का तो दूर-दूर तक नामों-निशान तक नहीं, लेकिन दिल्ली को देखें तो लगता है कि केजरीवाल “भ्रष्टाचार युक्त भारत” का निर्माण कर रहा है।
कहा जा रहा है कि आज भ्रष्टाचार दिल्ली की गलियों और ऑफिसों से निकल कर केजरीवाल के परिवार में पहुँच गया है।दिल्ली में भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ए.सी.बी.) ने केजरीवाल के एक क़रीबी रिश्तेदार को करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी के केस में हाल ही में ग्रिफ्तार किया है।
यह भी कहा जा रहा है कि इस धोखा-धड़ी में केजरीवाल का भी हाथ है । लेकिन जैसे पिछले भ्रष्टाचार के केसों में हुआ है केजरीवाल या उसके झूठे साथी झूठे बयान देकर इसे मोदी सरकार और अल. जी. अनिल बैजल का षड्यंत्र बताएँगे और साफ़ बच जाएंगे।
पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के इतने मामले सामने आये हैं कि ऐसे लगता है दिल्ली भारत की राजधानी न हो कर भरष्टाचारियों की नगरी है जहाँ हर कोई नेता और सरकारी अधिकारी लोगों को खुले आम लूट रहा है।
हालाँकि केजरीवाल जो भ्रष्टाचार मिटाने आया था मानता है कि दिल्ली में बेहद भ्रष्टाचार है लेकिन वह इसका जिम्मेदार बैजल को मानता है।उदहारण के लिए अभी सी.ए.जी. (CAG) – जो भारत की सबसे बड़ी सरकारी हिसाब में हेरा-फेरी पकड़ने की संस्था है – ने दिल्ली में 5400 करोड़ रुपए का राशन घोटाला पकड़ा है ।
इसके लिए सीधा-सीधा केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है । लेकिन केजरीवाल ने बैजल को इस भ्रष्टाचार का दोषी बता कर अपना पल्ला झाड़ दिया है । जैसा बाकी केसों में होता है इस केस को भी ऐसे ही दबा दिया जाएगा और बेचारी जनता को पता भी नहीं चलेगा कि सरकारी धन की चोरी किस ने की है । किसी नेता या सरकारी अधिकारी को इस अपराध की जेल भी नहीं होगी।इसीलिए भारत की गिनती दुनिया के सबसे ज्यादा भ्रष्टाचारी देशों में होती है ।
कुछ महीने पहले एक भ्रष्टाचार के केस में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को भारत के राष्ट्रपति ने अयोग्य ठहरा कर निकाल दिया था । लेकिन वे विधायक बचने के लिए और मामले को लटकाने के लिए कोर्ट में चले गए।
गलियों में भ्रष्टाचार
दिल्ली का भ्रष्टाचार सिर्फ सरकारी दफ्तरों तक सिमित नहीं है बल्कि अब तो भ्रष्टाचार दिल्ली की गली-गली में पहुँच चुका है । दिल्ली की ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज को ले लो जहाँ लाखों लोग रहते हैं । करीब सारी ऐसी हाउसिंग सोसाइटीज को अपराधी चला रहे हैं और इनमें करोड़ों रुपए का घपला हो रहा है । लेकिन दिल्ली सरकार का दफ्तर रजिस्ट्रार कोपरेटिव सोसाइटीज (RCS) – जो खुद भ्रष्टाचार की एक जिन्दा मिसाल है – हाउसिंग सोसाइटीज के भ्रष्टाचार को रोकना नहीं चाहता। हालाँकि केजरीवाल और बैजल को RCS ऑफिस और हाउसिंग सोसाइटीज के भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी है लेकिन उन्होंने इसे रोकने की कोशिश नहीं की।
इसी तरह दिल्ली विकास प्राधिकरण या DDA एक बहुत भयानक संस्था है । DDA के भ्रष्टाचार से किसी का भी बचना मुश्किल है। कहा जाता है कि DDA के अधिकारी इतने भरष्टाचारी हैं कि उनका बस चले तो लोगों के जेब भी काट लें ।
केजरीवाल यह कह कर बच जाता है कि DDA उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और शायद अल. जी. अनिल बैजल के पास DDA का भ्रष्टाचार ख़त्म करने का समय नहीं है । बैजल का अधिकतर समय उन मीटिंगों में लगता है जिनका लाभ कभी जनता को नहीं मिला । या बैजल का समय इधर-उधर रीबन काट कर सड़कों और दुकानों का उद्घाटन करने में चला जाता है । ऐसा थका हुआ और अयोग्य शासक तो दिल्ली के लोगों की सहायता करने की बजाए उनका नुक्सान कर रहा है ।
लेकिन दिल्ली के लोगों का दुर्भाग्य देखिये – ना तो वह एल. जी. बैजल से छुटकारा पा सकते हैं और ना ही केजरीवाल से जो पाँच साल के लिए दिल्ली पर कब्ज़ा करके बैठा है।हालाँकि दिल्ली के लाखों लोग जिन्होंने केजरीवाल की पार्टी को वोट दिया था आज अपनी ग़लती सुधार कर केजरीवाल को कुर्सी से हटाना चाहेंगे। लेकिन भारत की राजनितिक पर्णाली इतनी बेकार है कि वे ऐसा नहीं कर सकते।
दिल्ली के लोगों पर एम्.सी.डी. (MCD) और भाजपा (BJP) के अन्य नेताओं का अलग से कहर टूट रहा है जिससे बचना असंभव सा लगता है । इन्होने भी दिल्ली की हालत सुधारने का प्रयास नहीं किया । यह सब नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं लेकिन दिल्ली को सर्वनाश से बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे ।
एक और राजनितिक दल है काँग्रेस । हालाँकि काँग्रेस एक मरी हुई पार्टी है लेकिन जब दिल्ली के लोग पानी, बिजली, आदि को लेकर मुसीबत में होते हैं तो काँग्रेस उन्हें बचाने की बजाए बयानबाजी कर के जले पर नमक छिड़कने का काम करती है।काँग्रेस के पास दिल्ली के लिए कोई भी समझदार नेता नहीं है।
इन सब की खटपट और कलह का फ़ायदा उठा कर सरकारी अधिकारीयों ने काम करना बंद कर दिया है । लोग बेचारे अपनी शिकायतें लेकर भटकते रहते हैं लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई भी नहीं । नेता और सरकारी अधिकारी लोगों की शिकायतों को एक डाकघर की तरह इधर से उधर भेजते रहते हैं लेकिन उनका हल नहीं करते ।
आखिर परेशान होकर लोग न्याय के लिए अदालतों में जाते हैं । लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर सारा काम अदालतों ने करना है तो एल.जी. ऑफिस, मंत्री, नेता, और सरकारी अधिकारी क्या कर रहे हैं? क्यों नहीं उनकी दुकानदारी बंद कर देनी चाहिए?
दिल्ली की पूर्ण बर्बादी
हैरानी की बात है कि बैजल, केजरीवाल या अन्य नेताओं ने कभी दिल्ली के उन इलाकों में जाने की कोशिश नहीं की जिनमे गंद और बीमारी से लोगों के लिए दिल्ली एक नर्क बन कर रह गया है । इनकी मूर्खता की हद इस क़द्र बढ़ गई है कि यह दिल्ली के रखवाले लोगों को गंदगी और उससे होनेवाली बिमारियों से बचाने की बजाए मोहल्ला क्लीनिक खोल कर लाखों करोड़ों रुपए की बर्बादी कर रहे हैं ।
हालाँकि केजरीवाल और उसके झूठे साथी मोहल्ला क्लीनिक की बहुत तारीफ़ करते हैं, मोहल्ला क्लीनिक एक इतनी घटिया स्कीम है कि मोहल्ला क्लीनिक में जाकर एक ठीक आदमी भी बीमार हो जायेगा। यहाँ डॉक्टर और मरीज़ में कोई फर्क नहीं।लगता है डॉक्टर का काम भी मरीज़ ही कर रहे हैं।
केजरीवाल और उसके साथियों ने मिलकर सबसे बड़ा नुक्सान सरकारी स्कूलों में किया है और अल. जी. अनिल बैजल चुप बैठा है।केजरीवाल और उसके झूठे साथी बार-बार यह दावा करते हैं कि उन्होंने स्कूलों में सुधार किया है लेकिन यह दावा सरासर झूठ है।
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत का भ्रष्टाचार देश-विदेश में मशहूर है, दिल्ली के स्कूलों की पढ़ाई ठीक करने के पीछे छिपे भ्रष्टाचार को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता । स्कूलों में अच्छे टीचर रखने या पाठ्यक्रम ठीक करने या किताबें ठीक करने की बजाय करोड़ों रुपया स्कूलों में कमरों और स्विमिंग पूलों पर लगाया जा रहा है क्योंकि ऐसे कंस्ट्रक्शन के काम में नेताओं और सरकारी अधिकारियों के लिए पैसा बनाना आसान है।
दिल्ली के 2018 के बजट में केजरीवाल सरकार ने ₹ 13,997 करोड़ या कुल बजट ₹ 53,000 करोड़ का 26% शिक्षा क्षेत्र के लिए रखा है जो की एक बहुत बड़ी राशि है। ऐसा लगता है कि यह सारा पैसा स्कूलों में कमरों, बिल्डीगों, और स्विमिंग पूलों पर खर्च होगा, पढ़ाई पर नहीं । क्या केजरीवाल या बैजल को नहीं पता कि स्कूल की बिल्डिंग स्कूल नहीं है, स्कूल का अर्थ तो स्कूल की पढ़ाई है जो किसी भी स्कूल में नहीं हो रही।
हाल ही में रिलीज़ की गई एक रिसर्च रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों की निरंतर बिगड़ती हालत पर कई तथ्य पेश किये हैं लेकिन दिल्ली सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार का कभी प्रयास नहीं किया।एम्.सी.डी. और प्राइवेट स्कूलों का भी बहुत बुरा हाल है।
हर कदम पर धोखा और बेईमानी है।तो कौन है दिल्ली में बढ़ते भ्रष्टाचार और बर्बादी के लिए जिम्मेदार? और ऐसे में कौन करेगा दिल्ली के लोगों की रक्षा? झूठे नेताओं और भरष्टाचारी सरकारी अधिकारीयों पर तो भरोसा नहीं। अब यदि कहीं भगवान है तो वही दिल्ली की जनता को बचा सकता है।
और जहाँ तक दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग का सवाल है, केजरीवाल और बैजल जैसे अयोग्य लोगों के रहते इस विषय पर बात करना भी पाप है।यह बात तो तभी हो सकती है जब दिल्ली में कोई योग्य प्रशासक हो – जिसकी सम्भावना बिल्कुल भी नहीं।
By Rakesh Raman, who is a national award-winning journalist and social activist. He is the founder of a humanitarian organization RMN Foundation which is working in diverse areas to help the disadvantaged and distressed people in the society.
About Rakesh Raman
Rakesh Raman is a government’s national award-winning journalist and social activist. Besides working at senior editorial positions with India’s leading media companies, he had been writing an edit-page column for The Financial Express, a business newspaper of the Indian Express group.
Nowadays, for the past about 7 years, he has been running his own global news services on different subjects. He also has formed an environment-protection group called Green Group in Delhi. He has created a comprehensive online information service to educate the Indian voters for the upcoming Lok Sabha election scheduled to happen in 2019.
He is also running an exclusive community-driven online editorial section under the banner “Clean House” to help the suffering residents of Delhi raise their voice against the growing corruption and injustice in group housing societies where millions of people live.
He has formed a free Education and Career Counselling Center for deserving children at a poor J.J. Colony in Dwarka, New Delhi under his NGO – RMN Foundation.
Earlier, he had been associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert to help businesses use technology for brand marketing and business development.
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Rakesh Raman
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