द्वारका की DPS CGHS डी पी एस हाउसिंग सोसाइटी में अब फार का भ्रष्टाचार
DPS Cooperative Group Housing Society (DPS CGHS or DPS Housing Society), Plot No. 16, Sector 4, Dwarka, New Delhi 110 078
डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी है।अब मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने गैरकानूनी रूप से सोसाइटी में रिपेयर और फार (FAR या floor area ratio) कंस्ट्रक्शन का एक और भ्रष्टाचारी काम शुरू करने का फैसला किया है।
July 8, 2019
By Rakesh Raman
भाइयो और बहनों,
अब तक यह बात पूरे दिल्ली में फैल चुकी है कि सेक्टर 4 द्वारका की डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी (DPS CGHS) शहर की सबसे अधिक भ्रष्टाचारी हाउसिंग सोसाइटी है। इसकी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य इस क़दर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं कि आपको इनका नाम पुलिस और दूसरी अपराध-नियंत्रण संस्थाओं की फाइलों में अक्सर मिलेगा।
यहाँ तक कि एक लेबर कोर्ट ने डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को अपराधी घोषित कर दिया है और सज़ा भी सुना दी है और इसी केस में उन्हें और भी सज़ा हो सकती है जबकि केस अभी जारी है । पुलिस और दूसरी अपराध-नियंत्रण संस्थाएं मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के पीछे लगी हुई हैं और चोर-सिपाही का सिलसिला जारी है ।
डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों का नाम (नीरज वैश, बाला सुब्रामनियन, सम्पतकुमार, लीला स्वामी, संदीप तनेजा, मंगूराम त्यागी, और नसीम अफ़्शाक) कई अपराधों में सामने आता है – जैसे कि भ्रष्टाचार, धोखा-धड़ी, छल, ठगी, धमकी और साजिश।
अब डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी की मैनेजिंग कमेटी ने डी-कम्पनी (D-Company) की तरह एक पूरे अपराधी गिरोह की स्थापना कर दी है जिसमें सोसाइटी के करीब 30 और लोग शामिल हैं। इस गिरोह का संचालन मुख्य रूप से नीरज वैश और सम्पतकुमार कर रहे हैं। इनकी आपराधिक गतिविधियों को एक पुराना प्रेजिडेंट – जो मैनेजिंग कमेटी (MC) छोड़ कर भाग गया था – छुप कर मदद कर रहा है।उसका नाम भी सरकारी फाइलों में आरोपियों की लिस्ट में आ रहा है हालाँकि उसने मैनेजिंग कमेटी (MC) से भाग कर बचने की कोशिश की थी।
भ्रष्टाचार की जाँच
अभी डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं। दिल्ली सरकार की हाउसिंग सोसाइटी के लिए सबसे बड़ी अदालत (RCS Court) ने अपनी प्रारंभिक जाँच में पाया है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने भ्रष्टाचार किया है। इसलिए अदालत ने आगे की जाँच का निर्देश दे दिया है।
कहा जा रहा है कि इस मामले में डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी की है । इससे उनकी निजी सम्पत्ति बढ़ती जा रही है । यह भी माना जा रहा है कि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के पास एक से ज्यादा घर और अपार धन जमा है जो अदालत (RCS Court) की जाँच के बाद निकलेगा और ज़ब्त कर लिया जायेगा।और साथ ही अपराधियों को सज़ा होगी जो कुछ साल की जेल भी हो सकती है।
हालाँकि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य किसी भी तरह से अदालत की जाँच से बचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका बचना असंभव है । अदालत की पिछली सुनवाई जो 6 जून को थी, अदालत ने कहा है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार की जाँच को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा मामला है।अदालत की अगली सुनवाई 11 जुलाई (11.07.2019) को है।
हैरानी की बात यह है कि अदालत की जाँच के निर्देश के बाद भी डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य लोगों को यह कह कर मुर्ख बना रहे हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है।क्या आपने कभी सुना है कि सबूत के बिना अदालत जाँच के निर्देश देती है?
भ्रष्टाचार के सबूत
अदालत (RCS Court) और देश की दूसरी भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं के पास डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ दर्जनों सबूत हैं जो मैंने दिए हैं।यह सबूत मैंने करीब 100 पेज की अलग-अलग शिकायतों में दिए हैं जिसको अदालत (RCS Court) और देश की दूसरी भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं ने माना है और तभी तो जाँच के निर्देश दिए गए हैं।
आप यह भी जानते होंगे कि करीब एक साल पहले डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के भ्रष्टाचारी सदस्यों ने मुझे सोसाइटी से निकलवाने (expulsion) की कोशिश की थी । उन्होंने RCS Court में यह कहा था कि मैं बिना सबूत उनके भ्रष्टाचार के बारे में लिखता हुँ । लेकिन RCS Court ने डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) की बात नहीं मानी और मैनेजिंग कमेटी (MC) वह केस हार गई और मुझे सोसाइटी से निकलवा नहीं सकी।
जानते हैं क्यों? क्योंकि जो सबूत मैंने डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के भ्रष्टाचारी सदस्यों के ख़िलाफ़ दिए हैं वे बिल्कुल सच्चे हैं । इसीलिए अदालत (RCS Court) ने डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार की जाँच के आदेश दिए हैं।
यही नहीं, अब मैंने उन सरकारी अफसरों की भी जाँच शुरू करवा दी है जो रिश्वत लेकर या किन्ही और कारणों से डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को भ्रष्टाचार के मामले में बचाने की कोशिश कर रहे थे।
इसका सीधा मतलब यह है कि जब तक डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य भ्रष्टाचार में लूटा करोड़ों रुपया सोसाइटी को वापिस नहीं करते और उन्हें जेल नहीं होती, यह केस जारी रहेगा।और यदि इस दौरान उनका देहांत हो जाता है तो उनके बच्चों या दूसरे वारिसों को इस भ्रष्टाचार के मामले का सामना करना पड़ेगा।
यहाँ मैं एक बात साफ़ कर देना चाहता हुँ कि मैंने अपनी शिकायतों में कहा है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार की जाँच तब से होनी चाहिए जब से यह सोसाइटी करीब 20 साल पहले बनी थी क्योंकि इस सोसाइटी में हर कदम पर धोखा, बेईमानी और भ्रष्टाचार है ।
रिपेयर और फार (FAR) कंस्ट्रक्शन का भ्रष्टाचार
लेकिन दुःख की बात यह है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार का सिलसिला अभी तक जारी है।अब मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने ग़ैरक़ानूनी रूप से सोसाइटी में रिपेयर और फार (FAR या floor area ratio) कंस्ट्रक्शन का एक और भ्रष्टाचारी काम शुरू करने का फैसला किया है।
यदि आप इस काम से जुड़े सारे कागज़ ध्यान से पड़ें तो आप जान जायेंगे कि इस काम में डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने भ्रष्टाचार की सब हदें पार कर दी हैं।जबकि फार का काम पूरी तरह से गैर-कानूनी है, मैनेजिंग कमेटी (MC) इसे जल्दी से शुरू करना चाहती है क्योंकि इस बड़े काम में मैनेजिंग कमेटी (MC) के पास करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का अवसर है।[ जो लोग फार में अपराध और भ्रष्टाचार के बारे में और जानना चाहते हैं, वे यहाँ क्लिक करे और रिपोर्ट पढ़ें । ]
पहले मैनेजिंग कमेटी (MC) ने धोखे से एक विवेक एंड आरती (Vivek & Arti Architects) आर्किटेक्ट को रखा।फिर डी.डी.ए. (DDA) में गलत जानकारी और झूठी ड्राइंग प्लान दे कर और शायद रिश्वत देकर एक लेटर ले लिया । अब उस एक लेटर के आधार पर डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य लोगों से करोड़ों रुपया ऐंठने की कोशिश कर रहे हैं ।
जो ड्राइंग प्लान मैनेजिंग कमेटी (MC) ने डी.डी.ए. में दिया है उसके हिसाब से फार कंस्ट्रक्शन हो ही नहीं सकती क्योंकि वह यू. बी. बी. एल. (UBBL) और कई और कानूनों का उलंघन करता है।यह कंस्ट्रक्शन इसलिए भी नहीं हो सकता क्योंकि इसके पर्दूषण से लोगों को – खास करके बच्चों और सीनियर सिटीजन्स – को बहुत नुकसान होगा।चाहे सोसाइटी में मेजोरिटी इस कंस्ट्रक्शन को करवाना चाहती हो, यदि एक व्यक्ति को भी इस काम से शिकायत है तो कानून के हिसाब से यह कंस्ट्रक्शन का काम तुरंत रोकना पड़ेगा।
मैनेजिंग कमेटी (MC) ने चालाकी से फार कंस्ट्रक्शन को रिपेयर के साथ जोड़ दिया है ताकि हरेक मेंबर से लाखों रुपया ऐंठ सके । लेकिन आप को यह पता होना चाहिए कि फार और रिपेयर एक ही काम है । जो लोग रिपेयर के लिए पैसे दे रहे हैं, वास्तव में वे फार के लिए पैसे दे रहे हैं ।
जबकि विवेक एंड आरती (Vivek & Arti Architects) आर्किटेक्ट को यह पता है कि यह सारा रिपेयर और फार का प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ा फ्रॉड और धोखा है, वह यह प्रोजेक्ट छोड़ कर भाग गया है।इसी तरह जब बाकी कंस्ट्रक्शन कंपनियों को यह पता चलेगा कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में रिपेयर और फार का काम एक अपराध है तो वे या तो इस को शुरू ही नहीं करेंगे या बीच में छोड़ कर भाग जायेंगे ।
अब मैनेजिंग कमेटी (MC) ने धोखे से ऑमस्टार (Om Star) नाम की एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी को रखा है जिससे मैनेजिंग कमेटी (MC) रिपेयर और फार का काम शुरू करने से पहले कुल काम के मुल्य का 10% यानी करीब 66 लाख रुपया सिक्योरिटी डिपाजिट के रूप में मांग रही है।
कंस्ट्रक्शन कंपनियों से धोखा
लेकिन जब मैनेजिंग कमेटी (MC) ने इस काम के लिए टेंडर विज्ञापन दिया था उसमें यह नहीं बताया कि मैनेजिंग कमेटी (MC) भ्रष्टाचार के मामले में फँसी हुई है।यह बताना तो बहुत जरूरी था क्योंकि यदि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को भ्रष्टाचार के मामले में हटाया जाता है या जेल में भेजा जाता है तो रिपेयर और फार का काम बीच में ही रुक जायेगा।तब कंस्ट्रक्शन कम्पनी को पैसे कौन देगा?
यदि कंस्ट्रक्शन कम्पनी को यह पहले से टेंडर विज्ञापन द्वारा पता होता तो वह इस काम को करने के लिए कभी आगे न आती।मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य इतने धोखेबाज़ हैं कि यह कंस्ट्रक्शन कंपनियों से तो यह पूछ रहे हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई कानूनी केस तो नहीं चल रहा, लेकिन अपने केस के बारे में उन्हें नहीं बता रहे।
जिस तरह से डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य सोसाइटी के लोगों से झूठ बोल कर उनका पैसा लूट रहे हैं, उसी तरह वे कंस्ट्रक्शन कम्पनी के साथ धोखा कर रहे हैं । ऐसे में कोई भी समझदार कंस्ट्रक्शन कम्पनी अपना सिक्योरिटी डिपाजिट का पैसा इस काम में नहीं फँसाएगी और यह काम नहीं करेगी ।
लेकिन मैनेजिंग कमेटी (MC) ने हाल ही में सोसाइटी में एक पूजा करके लोगों को यह कह कर गुमराह किया है कि उनका रिपेयर और फार का काम शुरू होने वाला है । पूजा के बाद अब उन्होंने लोगों पर दवाब डालना शुरू कर दिया है कि वे मैनेजिंग कमेटी (MC) को रिपेयर और फार के लिए पैसे दें । देखिये इन लोगों का पूजा में भी धोखा और फ़रेब है ।
यहाँ यह बताना आवश्यक है कि इस डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) में 4 सदस्य (नीरज वैश, बाला सुब्रामनियन, लीला स्वामी, और संदीप तनेजा) ऐसे हैं जिन्होंने कुछ साल पहले भी ऐसा रिपेयर का काम सोसाइटी में शुरू किया था । इस काम को करने के लिए एक कंपनी 4 लाख रुपया मांग रही थी लेकिन इन्होने एक और कंपनी को उसी काम के 30 लाख रुपए से भी अधिक दाम दिए थे जबकि वह रिपेयर का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ।
क्योंकि यह मामला भ्रष्टाचार का है, इसकी अलग से अदालत (RCS Court) में जाँच चल रही है।इस मामले में वाटर टैंकर की ख़रीद में भी करोड़ों रुपए का घपला हुआ है।इस केस में इन 4 सदस्यों के अलावा 3 और लोग हैं जिनका नाम है के. वी. वर्गीस, मनजीत कौर, और गौरव कुमार सूद।
गैरकानूनी रिपेयर और फार का काम
यह मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य कुछ-कुछ देर में रिपेयर का काम करते रहते हैं क्योंकि इस काम में पैसा बनाना आसान है। माना जा रहा है कि अब रिपेयर और फार के काम में कम से कम 10 करोड़ रुपए का घपला हो सकता है ।
मैनेजिंग कमेटी (MC) इस काम के दाम धीरे-धीरे यह कह कर बढ़ाती रहेगी कि मॅहगाई बढ़ गई है।जब लोग फंसे होंगे और उनके घर टूटे होंगे तो उन्हें और पैसा देना ही पड़ेगा।और जिस काम को दो साल में ख़तम करने का दावा किया जा रहा है वह पाँच साल में भी पूरा नहीं होगा।और यह सोसाइटी नर्क बन कर रह जाएगी ।
मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य इसलिए लोगों पर पैसे देने के लिए दवाब डाल रहे हैं कि वे जल्दी से पैसा बना सकें । सुनने में यह भी आया है कि रिपेयर और फार के काम में जो भ्रष्टाचार का पैसा आएगा, उसे आपस में बाँट कर मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य सोसाइटी छोड़ कर भाग जायेंगे ।
अब तक आप को यह तो समझ आ गया होगा कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में इतना घपला है कि यहाँ रिपेयर और फार का काम या तो शुरू ही नहीं हो सकता और यदि शुरू हो गया तो ख़तम नहीं हो सकता।
यदि यह काफी नहीं है तो आप को यह बताना जरूरी है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के बहुत से लोग रिपेयर और फार के काम को रुकवाने के लिए कोर्ट में जाने के लिए तैयार बैठे हैं।जैसे दिल्ली हाई कोर्ट ने और जगह फार का काम रोक दिया है, डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में यह काम रुक जायेगा ।
लेकिन डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के लोगों ने यह तय किया है कि वे कोर्ट में तब जायेंगे जब रिपेयर और फार का काम सोसाइटी में पूरी तरह से शुरू हो जायेगा और घर टूट चुके होंगे । उस वक्त जब काम रुकेगा तो उन लोगों को सबसे अधिक नुकसान होगा जो रिपेयर और फार के लिए मैनेजिंग कमेटी (MC) को पैसा दे रहे हैं । तब उनके लिए घर में रहना भी मुश्किल होगा क्योंकि घर टूटा हुआ होगा और उसे बेचना भी मुश्किल होगा क्योंकि टूटा हुआ घर कोई खरीदेगा नहीं ।
इसलिए जो भी समझदार व्यक्ति होगा वह कभी भी डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को रिपेयर और फार के लिए कोई पैसा नहीं देगा । और जिन लोगों ने रिपेयर और फार के लिए पैसा दे दिया है, वे अपना पैसा मैनेजिंग कमेटी (MC) से वापिस मांग लें । यहाँ रिपेयर और फार का काम एक बहुत बड़ा धोखा और फ्राड है ।
बहुत से लोग यह भी जानते हैं कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के भ्रष्टाचारी सदस्य मुझे हर तरह से धमकाने की कोशिश करते रहते हैं ताकि मैं उनके अपराधों की शिकायत न करूँ।इसकी जानकारी मैंने दिल्ली पुलिस और भारत की होम मिनिस्ट्री को दे दी है।दिल्ली पुलिस ने मुझे मेरे घर पर आ कर पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
इस तरह मैं डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में हो रहे अपराधों के ख़िलाफ़ सच्चाई से आवाज़ उठाता रहूँगा।आप सब से मेरा अनुरोध है कि इस संघर्ष में आप मेरा साथ दें।धन्यवाद।
यदि आप डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में हो रहे अपराधों के बारे में और जानना चाहते हैं तो नीचे दियेगे लिंक को क्लिक करें ।
लिंक: http://www.ramanmedianetwork.com/humanitarian-crisis-persists-at-dps-housing-society-in-delhi/
By Rakesh Raman, who is a national award-winning journalist and social activist. He is the founder of a humanitarian organization RMN Foundation which is working in diverse areas to help the disadvantaged and distressed people in the society. He also creates and publishes a number of digital publications on different subjects.
About Rakesh Raman
Rakesh Raman is a national award-winning journalist and social activist. Besides working at senior editorial positions with leading media companies, he was writing an exclusive edit-page tech business column regularly for The Financial Express (a daily business newspaper of The Indian Express Group).
Nowadays, for the past about 8 years, he has been running his own global news services on different subjects. He also has formed a free Education and Career Counselling Center for deserving children at a poor J.J. Colony in Dwarka, New Delhi under his NGO – RMN Foundation.
He runs an exclusive community-driven anti-corruption social service “Clean House” to help the suffering residents of Delhi raise their voice against the growing corruption and injustice. He also has formed an environment-protection group called Green Group in Delhi.
He creates and distributes a number of digital publications that cover areas such as technology, law, environment, education, politics, corruption and transparency. He also publishes Real Voter digital magazine that focuses on politics and governance in India.
Earlier, he had been associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert to help businesses use technology for brand marketing and business development.
Contact
Rakesh Raman
463, DPS Apts., Plot No. 16, Sector 4
Dwarka, Phase I, New Delhi 110 078, INDIA
You may please contact me on my email.