क्या सुषमा स्वराज ने ललित मोदी से रिश्वत ली है?
आज भारत को इन फ़ूहड़ नेताओं की नहीं बल्कि उन बुद्धिजीवियों की आवश्यकता है जो निस्वार्थ भाव से देश का विकास कर सकें। उसके लिए भारत की चुनाव प्रणाली और यहाँ के सँविधान को पूरी तरह से बदलने का समय आ गया है।
By Rakesh Raman
भगवान जाने सच क्या है, लेकिन अगर कांग्रेस नेता ऱाहुल गांधी की माने तो भाज़पा की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने परिवार द्वारा ललित मोदी से रिश्वत लेकर उसे भागने में मदद की है।
ललित मोदी जो भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (I P L) क्रिकेट से जुड़े कई हेरा फेरी के मामलों का दोषी माना जा रहा है, अब इंग्लैंड में रह रहा है।
जब कि ललित मोदी को भारत में एक भगौड़ा माना जा रहा है, उसके ख़िलाफ गिरफ्तारी का आदेश भी जारी कर दिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने – जो उस वक़्त भारत सरकार चला रही थी – 2010 में ललित मोदी का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया था ताकि वह इंग्लैंड से भाग कर किसी और देश में न चला जाये।
लेकिन 2014 में कांग्रेस को हरा कर भाज़पा ने अपनी सरकार बना ली जिसमें नरेंद्र मोदी तो भारत का प्रधान मंत्री बन गया और सुषमा स्वराज बन गयी विदेश मंत्री।
मेरा मानना है की यहाँ तक की कहानी सब को समझ आ गयी होगी।
और यहाँ कहानी लेती है एक नया मोड़। सुषमा स्वराज की बेटी बाँसुरी स्वराज एक वकील के नाते ललित मोदी को भारत के कानून से बचने में मदद कर रही थी। लेकिन जो काम वकील बेटी न कर सकी वह काम माता जी ने विदेश मंत्री बनते ही करने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिय।
सुषमा स्वराज ने ब्रिटिश सरकार के साथ साँठ गाँठ करके ललित मोदी को इंग्लैंड से भाग कर पुर्तगाल जाने का प्रबन्ध कर दिय। जब सुषमा स्वराज से पूछा गया कि उसने अपने पद का दुरुपयोग क्योें किया तो उसने कहा कि ललित मोदी की पत्नी का ईलाज पुर्तगाल में चल रहा है इसलिए उसने मानवता के आधार पर उसकी मदद की।
लेकिन कांग्रेस का कहना है कि सुषमा स्वराज की मदद से ललित मोदी तो सारी दुनिया की सैर कर रहा था। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने सुषमा स्वराज की सारी दलीलों को यह कह कर खारिज़ कर दिया है कि सुषमा स्वराज ड्रामा करने में माहिर है।
सुषमा स्वराज का मानवता वाला बहाना इतना खोखला और आधार हीन है कि किसी को भी उस पर हँसी आ जाए। भारत में लाखों लोग गरीबी के कारण मर रहे हैं। बिना मुक़दमे के लोगों से जेल भरे पढ़ें हैं और बाहर उन बेचारे कैदियों के परिवार जीते हुए भी मरों जैसा जीवन व्यतीत कर रहे है। भारत में जगह जगह बीमारी और भूख मरी है।
सुषमा स्वराज ने मानवता के आधार पर कभी इन सब गरीबों की मदद तो नहीं की। तो फिर ललित मोदी पर इतनी दया क्यों? ललित मोदी पर तो आरोप है कि उसने करोड़ो रूपया इधर का उधर कर दिया है। तो क्या सुषमा स्वराज सिर्फ करोड़पतियों की मदद मानवता के आधार पर करती है? यह तो सीधा सीधा लेन देन या रिश्वतखोरी का मामला लगता है।
तो क्या सुषमा स्वराज रिश्वतखोर है? अगर वो रिश्वतखोर है तो इस बात में आपको कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि अगर कोई नेता झूठा, मक्कार, भरष्टाचारी, और रिश्वतखोर नहीं है तो उसकी जगह भारत की राजनीति में नहीं है।
लेकिन क्या एक औरत भी ऐसी भरष्टाचारी हो सकती है? यह मानना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि औरत तो त्याग और बलिदान की एक मूर्ति होती है। अगर वह ऐसी जुर्मि है तो वह सारी नारी जाती पर कलंक है।
एक औरत होने के नाते सुषमा स्वराज के त्याग की बात तो नहीं कर सकते, लेकिन उसके त्यागपत्र की माँग कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल पुरे जोर से कर रहे हैं। विपक्षी दल इस बात से भी हैरान हैं कि भारत का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जो कभी चुप बैठता नहीं, सुषमा स्वराज के मामले में पूरी तरह से चुप क्यों है।
कुछ का तो यह भी मानना है कि सुषमा स्वराज ने ललित मोदी की मदद नरेंद्र मोदी के कहने से की। हालाँकि दोनों मोदी – ललित मोदी और नरेंद्र मोदी – प्रतयक्ष रूप से एक दूसरे से सम्बंदित नहीं हैं। लेकिन जो ऐसी हिंदी फिल्में देखते हैं जिनमें दो भाई बचपन में बिछड़ जाते हैं और बड़े हो कर मिल जाते हैं, इस बात से इंकार नहीं करेंगे कि ललित मोदी और नरेंद्र मोदी एक दूसरे के भाई हो भी सकते हैं।
अगर फ़िल्मी कहानी को माने तो अब जब वह दोनों मिल गए हैं तो बड़ा भाई सुषमा स्वराज के द्वारा छोटे की मदद करना चाहता है। और क्योंकिं नरेंद्र मोदी अपने प्रावारिक रिश्तों के बारे में चुप रहता है इसलिए वह ललित मोदी के मामले में भी चुप्पी साधे हुए है। हालाँकि नरेंद्र मोदी और ललित मोदी के रिश्तों के बारे में यह एक अफवाह ही हो सकती है, अगर इन दोनों का डी एन ए टेस्ट करवाया जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
अब यह ललित मोदी वाला मामला इतना आगे बढ़ गया है कि विपक्षी दलों ने पिछले करीब दो हफ्ते से संसद की कार्यवाही रोक दी है। उनका कहना है कि वोह संसद तभी चलने देंगे जब सुषमा स्वराज अपना त्यागपत्र दे देगी।
यह मोदी सरकार पर एक बहुत बढ़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि पिछले 15 महीने के शासनकाल में मोदी सरकार हरेक विभाग में फेल रही है। मोदी के सारे वादे झूठे निकले हैं और प्रोग्राम विफल हो गए हैं। उस पर यह भ्रटाचार का केस एक हथोड़े के प्रहार जैसा है।
उदहारण के लिए मोदी ने कहा वह विदेशों में जमा काला धन वापिस ले आएगा, नहीं ला सका। उसने कहा महंगाई कम कर देगा, नहीं कर सका। मोदी के स्वछ भारत अभियान के बाद भारत में गंदगी बढ़ती जा रही है। उसका मेक इन इंडिया प्लान पूरी तरह से फेल हो गया। बेरोजगारी इतनी कि लोगों के मरने की नौबत आ गयी है।
इन सब समस्याओं का हल भारत की शिक्षा के सत्तर में सुधार लाना है। लेकिन मोदी ने सब से बढ़ी गलती उस वक़्त की जब उसने एक घटिया टीवी शो करने वाली अनपढ़ औरत को भारत का शिक्षा मंत्री बना दिया।
अब देश की हालत इतनी ख़राब हो गयी है और खुद एक प्रधान मंत्री के रूप में मोदी इतना फेल हो गया है कि इस सारे झंजट से दूर भागने के लिए, मोदी अपना ज्यादा वक़्त दूसरे देशों के सैर सपाटे में लगाना पसंद करता है। और मौका मिलते ही बाहर भाग जाता है।
मोदी के रटे रटाये भाषण भी अब जनता को बोर कर रहे हैं। जब मोदी वही घिसे पिटे और झूठे भाषण देने लगता है, तो कुछ लोग अपने टीवी और रेडियो बन्द कर देते हैं। और कुछ लोग मोदी के भाषण से बचने के लिए, उस वक़्त अपने कुत्तों को बाहर सैर करवाने ले जाते हैं या अपनी बिल्लियों को नहलाने का काम करते हैं। कृपया इस बात को मज़ाक न समझिएगा। यह एक गंभीर मामला है।
इन हालातों के चलते, कुछ लोगों का मानना है कि मोदी सरकार अपने पाँच साल पुरे नहीं कर पायेगी और कुछ महीने के बाद लोक सभा के चुनाव दुबारा हो सकते हैं।
तो क्या? नए चुनावों में प्रधान मंत्री और दूसरे मंत्री बनाने के लिए क्या हम किसी और प्लानेट से लोग लेकर आएंगे? इस वक़्त भारत में कोई भी ऐसा नेता नज़र नहीं आता जो काबिल हो और देश को पिछड़ेपन से निकाल सके। सभी राजनितिक दलों में अनपढ़, स्वार्थी, और फ़रेबी लोग ही नज़र आते हैं।
आज भारत को इन फ़ूहड़ नेताओं की नहीं बल्कि उन बुद्धिजीवियों की आवश्यकता है जो निस्वार्थ भाव से देश का विकास कर सकें। उसके लिए भारत की चुनाव प्रणाली और यहाँ के सँविधान को पूरी तरह से बदलने का समय आ गया है।
नये लोकतान्त्रिक सिसटेम में सिर्फ उन्ही लोगों को चुनाव लड़ने का अधिकार हो जो विशेष रूप से एक सरकारी विभाग़ को सँभालने के लिए शिक्षित या डोमेन एक्सपर्ट्स (domain experts) हों और अपने अपने फील्ड में देश विदेश में नाम कमा चुके हों। मैं इस नये लोकतान्त्रिक सिसटेम का और भी विस्तार से वर्णन कर सकता हूँ और करूंगा।
अगर आप मेरे सुझाव से सहमत हैं तो हाथ बढाईये, आगे आईए ताकि हम मिल कर इस बदलाव को ला सकें और एक नए, खुशहाल भारत का निर्माण कर सकें।
By Rakesh Raman, the managing editor of RMN Company
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