दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का प्रयास
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दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का प्रयास
ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमें अच्छी नौकरी न दे सके
आओ मिल कर शुरू करें – शिक्षा लाओ, स्कूल बचाओ – आंदोलन
आज दिल्ली के लोग स्कूल में पढ़ाई की बिगड़ती हालत से इतने चिंतित हैं कि रात–रात भर सो नहीं सकते। स्कूल की पढ़ाई इतनी बेकार है कि भविष्य में किसी काम नहीं आएगी। स्कूल का पाठ्यक्रम इतना पुराना और घिसा–पिटा है कि उसे पढ़ने के बाद भी स्टूडेंट अनपढ़ ही माना जाता है। स्कूल टीचर क्लास में पढ़ाने की बजाए बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन के दलदल में धकेल रहे हैं।
प्राइवेट ट्यूशन लेना या देना एक अपराध और सामाजिक बुराई है। स्कूल और ट्यूशन के बाद भी जो स्टूडेंट दसवीं (10th) या बारहवीं (12th) क्लास भी पास कर लेता है उसे पहली क्लास की पढ़ाई भी नहीं आती। ऐसे दसवीं और बारहवीं तक के स्टूडेंट न तो अच्छी तरह हिंदी भाषा जानते हैं न गणित। और इंग्लिश भाषा में तो बहुत ही बुरा हाल है। कुछ तो ठीक तरह से बोल भी नहीं पाते। क्या यह है पढ़ाई?
स्कूल की पढ़ाई के बाद अच्छे कॉलेज में दाखिला बहुत मुश्किल या असंभव है। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद भी नौकरी नहीं है क्योंकि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई इतनी दिशाहीन है कि यह आपको एक अच्छी नौकरी करने के योग्य नहीं बना सकती। इसका परिणाम यह है कि आज डिग्री वाले बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है और बेरोज़गारी एक ख़तरनाक बीमारी की तरह फैली हुई है।
[ Can Classrooms Improve Quality of School Education in Delhi? ]
ऐसे बेरोज़गार लड़के और लड़कियां नशे का शिकार हो रहे हैं या जुर्म और अपराध करने लगे हैं। इससे उनका जीवन शुरू होने से पहले ही ख़त्म होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर। यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियाँ बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर रहे हैं।
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जो विषय स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, वे नौकरी लेने में सहायक नहीं हैं। सरकारी नौकरियाँ न के बराबर हैं। बढ़ी कंपनियों में नौकरियाँ हैं लेकिन उन नौकरियों के लिए आधुनिक पढ़ाई चाहिए जो आम स्कूल और कॉलेज नहीं दे रहे। स्कूल में टीचर भी आधुनिक पढ़ाई के बारे में नहीं जानते और वे इस योग्य नहीं कि बच्चों को उच्च शिक्षा और किसी अच्छी नौकरी या अच्छे काम के लिए तैयार कर सकें। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों का एक सा ही बुरा हाल है।
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आज के आधुनिक युग में नौकरी के लिए डिग्री से ज्यादा कौशल और योग्यता की जरूरत है। लेकिन ऐसा कौशल और योग्यता आज की पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। इसका परिणाम यह है कि जिसके पास डिग्री है, उसके पास नौकरी नहीं और जिसने नौकरी देनी है उसे योग्य लोग नहीं मिल रहे। आज की पढ़ाई का व्यवसाय में कोई उपयोग नहीं है। इससे उद्योग और व्यापार धीरे चल रहे हैं या बंद हो रहे हैं। इसके फलस्वरूप कंपनियां लोगों को नौकरी देने की बजाय उन्हें नौकरी से निकाल रही हैं। हालात बिगड़ते ही जा रहे हैँ।
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भारत की आज़ादी के पिछले 70 साल में किसी भी नेता या राजनितिक दल ने भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार का प्रयास नहीं किया क्योंकि अधिकतर नेता जानते हैं कि हरेक चुनाव में ज़्यादातर अनपढ़ और ग़रीब लोग ही वोट डालते हैं। यदि लोग पढ़े-लिखे होंगे तो उन्हें नेता झूठे चुनावी वादों से धोखा नहीं दे सकेंगे। पढ़े-लिखे लोग वोट डालने से पहले दस बार सोचेंगे और इन सभी बेकार नेताओं को वोट डालना बंद कर देंगे जो पिछले 70 साल से मिल कर आम लोगों को दबा रहे हैं।
नेता आपको अच्छी शिक्षा नहीं दे रहे ताकि आप अनपढ़ रह कर उनके झूठ को सच मानते रहें और उन पर निर्भर रह कर उन्हें वोट डालते रहें। आपको अच्छी शिक्षा से सशक्त करने की बजाय सरकारी मुहताज या गुलाम बना कर रखा हुआ है। भारत के दूसरे नेताओं की तरह दिल्ली के नेता भी आप से धोखा कर रहे हैं और ख़राब पढ़ाई को अच्छा कह कर बता रहे हैं ताकि आप उन्हें वोट डालते रहें।

लेकिन अब हम सब को मिल कर आवाज़ उठानी है ताकि जल्दी से स्कूल का सारा पाठ्यक्रम और पढ़ाई का तरीका इस तरह बदला जाए कि यह नौकरी लेने में सहायक हो। इसी तरह स्कूल में टीचर भी वे रखे जाएं जो आधुनिक शिक्षा के बारे में पूरी तरह से जानते हों और वैसा ही पढ़ाएं जो लोगों को अच्छी नौकरी लेने या अच्छा काम करने में सहायक हो।
इसलिए हमारा आप से अनुरोध है कि आप शिक्षा लाओ, स्कूल बचाओ – आंदोलन में शामिल होकर शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए पूरा सहयोग दें। हम आपके सहयोग से इस आंदोलन की आवाज़ पूरी दिल्ली में पहुंचायेंगे। दिल्ली के सभी स्टूडेंट, माता-पिता, टीचर, और आम नागरिक इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। धन्यवाद।
This education awareness campaign is being managed by Rakesh Raman, who is a government’s national award-winning journalist and social activist. He is the founder of the humanitarian organization RMN Foundation which is working in diverse areas to help the disadvantaged and distressed people in the society.
It is an educational and public charitable Trust registered with the Government of National Capital Territory of Delhi at New Delhi, India. RMN Foundation does not belong to any political party. Website: www.rmnfoundation.org — Email: rrthakur@hotmail.com